- भस्म आरती: भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर चढ़ाई गई भस्म, उज्जैन में हर ओर गूंजे जय श्री महाकाल के नारे!
- HMPV से घबराने की कोई जरूरत नहीं! Ujjain मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी का बड़ा बयान, बोले- अफवाहों से बचें...
- उज्जैन में हुआ ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय ठहाका सम्मेलन, 25 घंटे से ज्यादा चला हास्य कवि सम्मेलन; Golden Book of Records में दर्ज हुआ नया विश्व रिकॉर्ड!
- भस्म आरती: दिव्य रजत मुकुट और चंदन अर्पित करके किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए बड़ा कदम, हटाए गए 257 मकान; महाकाल लोक के लिए सवा दो हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
श्री चिंतामन गणेश मंदिर: तीन रूपों में यहां विराजमान हैं भगवान, गणेशोत्सव में दस दिन तक होंगे विशेष श्रृंगार
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा और भी कई प्रमुख मंदिर हैं। यहाँ स्थित श्री चिंतामन गणेश मंदिर, भगवान गणेश की आराधना के लिए एक प्रमुख स्थल है जो उज्जैन के तीर्थ स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान हैं, जो चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते हैं।
बता दें, चिंतामन मंदिर में 7 सितंबर गणेश चतुर्थी से 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी तक दस दिवसीय गणेशोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान दस दिनों तक भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा और भगवान को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे। वहीं, मंदिर में महाआरती का आयोजन भी किया जाएगा।
बता दें, मंदिर के सामने आज भी प्राचीन बावड़ी मौजूद है। जहां पर दर्शनार्थी दर्शन करते हैं। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई द्वारा करीब 250 वर्ष पूर्व बनाया गया था। इससे भी पूर्व परमार काल में भी इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है। यह मंदिर जिन खंभों पर टिका हुआ है, वे परमार कालीन हैं।
देश के कोने-कोने से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। यहां पर भक्त, गणेश जी के दर्शन कर मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मनोकामना मांगते हैं और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वे पुनः दर्शन करने आते हैं और मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। कई भक्त यहां रक्षा सूत्र बांधते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर रक्षा सूत्र छोड़ने आते हैं।